विश्व के अधिकांश देशों में जहां लोग एक दूसरे से मिलने पर हैंडशेक करते हैं वहीं भारत में अभी भी लोग नस्कार का ही प्रयोग करते हैं। नमस्कार करने का स्टाइल भले ही थोड़ा पुराना हो गया हो, लेकिन इसके पीछे छुपे वैज्ञानिक रहस्य केवल कुछ ही लोग जानते हैं। जब भी आप नमस्ते करते हैं तो, दोनों हाथों को अपने सीने के सामने जोड़ते हैं, जहां पर अनाहत चक्र स्थापित होता है। यह चक्र प्यार और स्नेह को उजागर करता है, जो हमारा सीधा संपर्क भगवान से करवाता है। नमस्कार शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के नमस शब्द से हुई है, जिसका अर्थ होता है एक आत्मा का दूसरी आत्मा से आभार प्रकट करना। वैदिक काल से भारतीय मूल में नमस्कार या नमस्ते नमस्कार का तरीका है। यह भारतीय उपमहाद्वीप या विशेष रूप से हिंदू धर्म से उत्पन्न हुआ है। आज जैसे-जैसे लोग दुनिया भर की परंपराओं से परिचित हो रहे हैं, और योग स्वस्थ जीवन के लिए एक अंतरराष्ट्रीय अभ्यास बन रहा है, लगभग हम में से हर कोई नमस्ते शब्द जानता है। लेकिन, क्या हम नमस्कार के पीछे छिपे विज्ञान, नमस्कार के पीछे के वास्तविक अर्थ को जानते हैं? नमस्कार करने का सही तरीका-